भोपाल के कमला नेहरू एवं हमीदिया अस्पताल में गंभीर लापरवाही और सुरक्षा कर्मचारियों की गुंडागर्दी का आरोप — परिजन बोले, “जांच हो, वरना बड़ा हादसा?? मध्यप्रदेश के सभी हॉस्पिटल मे अध्यधून के राज मे गध पंजीरी खाते है

भोपाल के कमला नेहरू एवं हमीदिया अस्पताल में गंभीर लापरवाही और सुरक्षा कर्मचारियों की गुंडागर्दी का आरोप — परिजन बोले, “जांच हो, वरना बड़ा हादसा तय”
भोपाल, 10 अक्टूबर 2025 (इंडिया/इंटरनेशनल ब्यूरो):
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रतिष्ठित हमीदिया एवं कमला नेहरू अस्पताल परिसर में गुरुवार रात्रि 8:00 बजे के लगभग सुरक्षा कर्मचारियों और अस्पताल स्टाफ द्वारा गंभीर मरीजों एवं उनके परिजनों के साथ अभद्र व्यवहार, धमकी और मारपीट की घटनाएं सामने आई हैं।
घटना कमला नेहरू अस्पताल के 9-A वार्ड में हुई, जहाँ उपस्थित परिजनों के अनुसार महिला सुरक्षा गार्ड्स और कुछ ड्यूटी नर्सों ने मरीजों और उनके परिवारों के साथ दुर्व्यवहार किया, उन्हें वार्ड से बाहर निकालने की धमकी दी और वीडियो या फोटो लेने पर मोबाइल फोन छीनकर रिकॉर्डिंग डिलीट कर दी।
मरीजों और परिजनों का आरोप — “इलाज में लापरवाही, सुरक्षा में गुंडागर्दी”

परिजनों ने बताया कि गंभीर मरीजों को समय पर दवा और जांच नहीं मिल रही, वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाइयों का पालन जूनियर डॉक्टर समय पर नहीं करते।
कई बार बताया गया कि “दवा एक्सपायरी है, बाहर से खरीदिए”, जबकि सरकारी अस्पताल में इन दवाओं की उपलब्धता होनी चाहिए।
सफाई व्यवस्था में भी गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए गए। मरीजों के उल्टी-दस्त या 105 डिग्री बुखार जैसी स्थितियों में सफाईकर्मी समय पर उपलब्ध नहीं रहते।
7 वर्षीय मासूम मरियम मोती जीरा, जो 5 अक्टूबर 2025 को दोपहर 2 से 3 बजे के बीच 9-A वार्ड में भर्ती की गई थी, अभी तक आराम की स्थिति में नहीं है। परिवार ने बताया कि इस दौरान उन्हें लगातार अपमान, डर और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा।
“वीडियो बनाने पर मोबाइल छीन लिया जाता है” — परिजनों का बयान
गंभीर परिजनों ने कहा कि जब वे अस्पताल की व्यवस्था की सच्चाई दिखाने के लिए फोटो या वीडियो बनाने की कोशिश करते हैं, तो सुरक्षा गार्ड बलपूर्वक मोबाइल छीनकर वीडियो डिलीट कर देते हैं।
यह आरोप लगाया गया है कि “लापरवाही छुपाने के लिए ही भारी संख्या में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड रखे गए हैं”, जिनका उद्देश्य सुरक्षा नहीं बल्कि भय का माहौल बनाना है।
प्रशासन से सीबीआई जांच की मांग
परिजनों और सामाजिक प्रतिनिधियों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच हाई कोर्ट के जजों की निगरानी में सीबीआई एजेंसी द्वारा कराई जाए।
सूत्रों के अनुसार, “देरी से इलाज और लापरवाही के कारण कई मरीजों की जान जा चुकी है, परंतु किसी भी स्तर पर पारदर्शी जांच नहीं हुई।”
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक अस्पताल की बात नहीं है — यह जन स्वास्थ्य व्यवस्था की साख और आम जनता के विश्वास का प्रश्न है।
“सरकारी अस्पतालों में बदतमीजी की सीमा पार”
जहां एक ओर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव और स्वास्थ्य मंत्री लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने की दिशा में कार्यरत हैं, वहीं कुछ कर्मचारी अपनी लापरवाही और अनुशासनहीनता से सरकार की छवि और जनविश्वास को आघात पहुँचा रहे हैं।
परिजनों का कहना है कि “सरकार द्वारा करोड़ों रुपये स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किए जा रहे हैं, परंतु ज़मीनी हकीकत अस्पतालों में भय, असुरक्षा और उपेक्षा की तस्वीर दिखाती है।”
अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
रात के समय वार्डों में सुरक्षा गार्ड्स की मनमानी, नर्सों और जूनियर डॉक्टरों की लापरवाही, और प्रशासन की चुप्पी — इन सबने मिलकर स्थिति को विस्फोटक बना दिया है।
मरीजों के परिजन बार-बार आग्रह कर रहे हैं कि “इलाज में देरी, अपमान और डर के कारण किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।”
जनता की आवाज़ — “हमें पारदर्शी जांच चाहिए”
मरीजों के परिजनों और जनप्रतिनिधियों ने शासन से मांग की है कि —
अस्पतालों में इलाज की वास्तविक स्थिति का जन फीडबैक सिस्टम तुरंत लागू किया जाए।
सीसीटीवी रिकॉर्डिंग की स्वतंत्र जांच हो।
असंवेदनशील स्टाफ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो।
गंभीर मरीजों के इलाज में देरी और भय की घटनाओं की सीबीआई जांच अनिवार्य की जाए।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से यह मामला भारत की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था की साख और सरकारी संस्थानों की जवाबदेही से जुड़ा हुआ है।
भोपाल जैसे उन्नत शहर में यदि मरीजों और परिजनों के साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तो यह पूरे देश की चिकित्सा प्रणाली के आत्मनिरीक्षण का विषय है।
देश की जनता अब पारदर्शिता और सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवाएं चाहती है — भय और अपमान नही