भारत और तालिबान के बढ़ते संपर्क पर पाकिस्तानी एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं?

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अफ़ग़ानिस्तान

पाकिस्तानी मीडिया में भारत और तालिबान के बढ़ते संपर्क को लेकर ख़ूब बहस हो रही है.


पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि जो भारत तालिबान का विरोध करता था, अब उसे गले लगाने के लिए तैयार हो गया है.पाकिस्तानी एक्सपर्ट इस बात की चिंता जता रहे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में भारत एक बार फिर से अपना पाँव जमा सकता है.भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने आठ जनवरी को दुबई में तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्ताक़ी से मुलाक़ात की थी.तालिबान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान भारत को अहम क्षेत्रीय और आर्थिक साझेदार के रूप में देखता है.

‘ग्रेट गेम की तैयारी’

आयशा सिद्दीक़ा ने पाकिस्तान और तालिबान के बीच बिगड़ते रिश्तों पर भी बात की.

उन्होंने कहा, ”भारत तालिबान सरकार के साथ रिश्ते मज़बूत करने करने की कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन उसकी एक सीमा है. वहीं पाकिस्तान को उसके मुक़ाबले काफी फ़ायदा है क्योंकि आपसी संबंध बेहतर करने के मामले में सीमा साझा करने वाले देशों को बढ़त हासिल रहती है. लेकिन अफ़सोस पाकिस्तान इस मौक़े को दोनों हाथ से खो रहा है.”

पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार नजम सेठी ने ‘समा टीवी‘ के एक कार्यक्रम में भारत और अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार के बीच आपसी रिश्ते मज़बूत करने की कोशिशों पर बात की.

उनसे पूछा गया कि क्या तालिबान और भारत के बीच बातचीत से दोनों देशों बीच दोस्ती के अच्छे दिन दोबारा लौट सकते हैं. क्या ये दोस्ती हामिद करज़ई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला के दौर जैसी होगी?

इस पर सेठी ने कहा, ”तालिबान ने जब अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा किया था तो पाकिस्तान ने उसका समर्थन किया था. लेकिन अब दिक्क़तें सामने आ रही हैं. तालिबान को लग रहा है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और आईएस मिलकर उसके ख़िलाफ़ युद्ध न छेड़ दें. इससे अफ़ग़ानिस्तान में गृह युद्ध हो सकता है. इसलिए वो पाकिस्तान को काबू में रखने की कोशिश कर रहा है.”

उन्होंने कहा, ”पाकिस्तान और तालिबान के बीच इस विवाद में भारत को लोहा गरम लग रहा है. लिहाजा भारत तालिबान से संबंध मज़बूत करने पहुंच गया. भारत और तालिबान दोनों ‘दुश्मन का दुश्मन’ दोस्त होता है की रणनीति पर चल रहे हैं. भारत तालिबान को आर्थिक मदद देने के लिए पूरी तरह से तैयार है. इसलिए तालिबान भी बेफ़िक्र होकर भारत के साथ रिश्ते मज़बूत करने की कोशिश में लगा है. अफ़ग़ानिस्तान में अब ‘ग्रेट गेम’ की तैयारी शुरू हो चुकी है.”

नजम सेठी का कहना था कि अफ़ग़ानिस्तान से भारत पूरी तरह वापस नहीं गया है. वहाँ उसका वाणिज्यिक दूतावास है और दूसरी एजेंसियां भी हैं. अगर तालिबान और भारत के रिश्ते मज़बूत हुए तो पाकिस्तान को मुश्किलें आ सकती हैं.

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