भारत के सपने को ट्रंप ने दिया एक और बड़ा झटका, ईरान के चाबहार पोर्ट पर चलाया हथौड़ा, पाकिस्‍तान होगा खुश

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अमेरिका के डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने के लिए चाबहार पोर्ट को मिली छूट को खत्‍म करने का आदेश दिया है। चाबहार पोर्ट भारत के लिए यूरेशिया का प्रवेश द्वार है। ट्रंप के इस कदम से भारत के अरबों रुपये के निवेश पर संकट आ सकता है’

अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने ईरान को घुटनों पर लाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपने प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह ईरान के चाबहार पोर्ट को प्रतिबंधों में दी गई छूट को खत्‍म कर दे। इससे पहले अमेरिका ने अशरफ गनी सरकार के रहने के दौरान भारत को अफगानिस्‍तान तक माल पहुंचाने के लिए चाबहार बंदरगाह को लेकर प्रतिबंधों में छूट दी थी। इसके बाद भारत ने इस ईरानी बंदरगाह को बनाने में करोड़ों डॉलर का निवेश किया है। भारत इसी बंदरगाह के रास्‍ते रूस से सीधे इंटरनैशनल नॉर्थ-साऊथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के रास्‍ते जुड़ रहा है। यही नहीं भारत का अफगानिस्‍तान तक माल भेजने का सबसे बड़ा रास्‍ता है। भारत इसे मध्‍य एशिया तक जाने के लिए एक रास्‍ते के रूप में विकसित कर रहा है। तालिबान और भारत के बीच इस बंदरगाह को लेकर बड़ी डील हुई है जिससे पाकिस्‍तान सदमें है

इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने ही नवंबर 2018 में भारत को चाबहार बंदरगाह को लेकर छूट दी थी। अब इसी ट्रंप प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी है। भारत ने कहा है कि वह ट्रंप प्रशासन के इस फैसले की समीक्षा कर रहा है। ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ अधिकतम दबाव बनाने की रणनीति के तहत चाबहार की छूट को खत्‍म करने का फैसला किया है। अमेरिका चाहता है कि ईरान अपनी परमाणु महत्‍वाकांक्षा, मिसाइल प्रोग्राम और आतंकवाद के समर्थन को छोड़ दे। चाबहार पोर्ट भारत की क्षेत्रीय रणनीति के लिए बहुत ही जरूरी है। भारत इसे पाकिस्‍तान और चीन के ग्‍वादर पोर्ट के जवाब के रूप में व‍िकस‍ित कर रहा है :

ट्रंप के कदम से भारत को लगेगा झटका

भारत चाबहार पोर्ट की मदद से पाकिस्‍तान को बायपास करके मध्‍य एशिया, अफगानिस्‍तान और यहां तक कि रूस और यूरोप तक आसानी से व्‍यापार कर पा रहा है। भारत ने साल 2024 में ईरान के साथ 10 साल के लिए चाबहार पोर्ट के संचालन का समझौता किया था। भारत ने 25 करोड़ डॉलर यहां पर आधारभूत ढांचे को बेहतर करने के लिए निवेश किया है। इस पोर्ट का संचालन साल 2018 से ही इंडिया पोर्ट ग्‍लोबल लिमिटेड कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के इस कदम से चाबहार पोर्ट के विकास का भारतीय कार्य प्रभावित हो सकता है। भारत का चाबहार पोर्ट का संचालन सीमित हो सकता है

भारत के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि चाबहार पोर्ट की वजह से मुंबई से यूरेशिया के बीच दूरी और समय बहुत कम हो गया है। इससे जहाजों के आने जाने में 43 फीसदी की तेजी आई है।

अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से पहले ही ईरान के साथ हमारा व्‍यापार लगातार गिर रहा है। ईरान चाबहार को लेकर भारत संग नाराजगी जता चुका है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि

ईरान इजरायल के साथ तनाव को देखते हुए परमाणु बम बना रहा है। ईरान का मुद्दा पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा में उठ सकता है। अमेरिका ने यह कदम तब उठाया है जब रूस, ईरान और भारत के बीच इस पोर्ट को लेकर दोस्‍ती बढ़ रही है। वहीं चीन ने भी ईरान में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है

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