भोपाल में तीन हजार से ज्यादा झुग्गियां तो तन गईं:कोलार 6 लेन पर 250 एकड़ में नेता-अफसर बसा रहे झुग्गी * एक की कीमत- 3 से 4 लाख रुपए की करते हैं दलाली

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सरकार भोपाल को झुग्गीमुक्त बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, पर नेता-अफसरों की शह पर खुद सरकारी विभाग झुग्गियां बसाने के खेल में लगे हैं। कोलार सिक्सलेन से लगी 250 एकड़ सरकारी जमीन पर ऐसा ही हो रहा है। कालापानी क्षेत्र में शासकीय भूमि वाले 20 से ज्यादा खसरे हैं, जिन पर 3 हजार से अधिक झुग्गियां बन चुकी है। 2 हजार झुग्गियों के लिए जगह चिह्नित की गई है।

भूमाफिया की तरह काम कर रहे अधिकारी पहले तो झुग्गियां बनाने वालों से 1 से 4 लाख रुपए तक की वसूली कर लेते हैं, फिर उन्हें मूलभूत सुविधाएं दिलाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से करोड़ के काम भी करवा रहे हैं। दा से सूत्रों ने यहां डेढ़ महीने तक झुग्गियों को बसाने और खरीदी-बिक्री का पूरा खेल देखा।इसमें सामने आया कि आरआई (रेवन्यू इंस्पेक्टर), पटवारी और सरपंच यहां झुग्गी माफिया बने हुए हैं। अधिक दाम देने वाले को मनचाही झुग्गी दिलाने के लिए मजदूरों को बेघर भी कर देते हैं। पंचायत स्तर से नया पट्टा देने के नाम पर भी हर झुग्गी से 10-10 हजार रु. की वसूली भी जा रही है। सरकारी खसरों पर अवैध खनन भी हो रहा है। यही नहीं, 10 से ज्यादा अवैध ईंट-भट्टे भी यहां चल रहे हैं।कोलार के नायाब तहसीलदार रामजी तिवारी बोले- शासकीय खसरे की जमीनों पर झुग्गियां बनवा रहे हैं तो गलत हैं। कोई शिकायत नहीं आई पर जांच कराएंगे। एसडीएम रविशंकर राय बोले पूर्व में झुग्गियां हटवाई थी। यदि आरआई-पटवारी या सरपंच झुग्गी सौदेबाजी कर रहे हैं तो जांच कराएंगे। ऐसे प्रमाण हैं तो हमें बताएं।दलाल बोला- हम 100 वर्ग फीट में जमीन देंगे, किसी से पूछना नहीं पड़ेगाईंट-भट्टा चलाने वाले मुकेश बंजारा ने मनमाने साइज की भूमि दिलाने की बात की। बंजारा कहना था कि यहां केवल दानपत्र वाली झुग्गियां मिलेंगी। उसमें झुग्गी के लिए लेन-देन का कोई जिक्र नहीं रहेगा। हम आपको 100 वर्ग फीट की खाली भूमि उपलब्ध करवा देंगे। आपको किसी से भी बात करने की जरूरत नहीं।सौदेबाजी के लिए खड़े ये पटवारी-आरआई हैंदैनिक भास्कर ने झुग्गीवालों की मदद से आरआई-पटवारी की सौदेबाजी को कैमरे में रिकॉर्ड किया। इसमें आरआई राजू थेपे और पटवारी प्रदीप गौर झुग्गी खाली कराने के लिए दिव्यांग मजदूर परिवार को डेढ लाख रुपए दिलाने की बात कहते नजर आ रहे हैं। इसमें वे कहते हैं कि इस झुग्गी के कोई ज्यादा रकम दे रहा है।हालांकि, जब भास्कर ने वीडियो के बारे में पूछा तो आरआई का कहना था कि मैं ऐसे लफड़ों में नहीं रहता हूं। बतौर आरआई मेरा काम केवल जमीन नापना और सीमांकन करना है। आरोप झूठे हैं। वहीं पटवारी का कहना है कि जिस वीडियो की आप बात कर रहे हैं, उनका मकान खाली करने का आदेश हुआ था। जिनके पक्ष में आदेश हुआ वही कब्जादार से सौदेबाजी कर रहा था।सरकारी जमीन पर दो निजी स्कूल भीकालापानी के सरकारी खसरों पर दो निजी स्कूल भी संचालित मिले। इनमें 500 से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं। दोनों ही एनजीओ के नाम पर मान्यता लेकर संचालित हो रहे हैं। संचालकों से जमीन के मालिकाना हक पर सवाल किया तो, जवाब में संस्था के नाम ही जमीन होना बताया गया। शासकीय रिकार्ड में यह जमीन सरकारी बताई जा रही है। इतना ही नहीं, कुछ जगह तो गुपचुप तरीके से निजी क्लीनिक भी संचालित मिले।की तैयारी में जुटे हैं… कालापानी सरपंच नीलेश मीना तो झुग्गियों में रहने वालों का सर्वे कराकर उन्हें पट्टा दिलाने की तैयारी में है। पड़ताल के दौरान उन्होंने ही इसकी जानकारी दी। पंचायत सचिव प्रेमनारायण यादव का कहना था कि पंचायत की ओर से तो किसी को भी पट्टे जारी नहीं किए जा रहे हैं। किसी से भी पट्टे के लिए 10-10 हजार रुपए की उगाही की बात से उन्होंने साफ इनकार किया।आरआई-पटवारी की सौदेबाजी, दलाल से बातचीत व सरपंच के सर्वे वाले वीडियो भास्कर के पास हैं।क्या कहते हैं जिम्मेदार – {बिजली विभाग : कालापानी में पदस्थ कंपनी के जूनियर इंजीनियर संघर्ष पाराशर का कहना है कि उनके पास तो ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है।झुग्गी वासी ऑन कैमरा बोल रहे हैं लाइनमैन को रुपए देते हैं।, इसका वीडियो–फोटो दोनों है।खनिज विभाग : जिला खनिज अधिकारी अशोक नागले इससे पूरी तरह अनजान हैं। उनका कहना है कि डेढ़-दो साल पहले यहां सिक्सलेन के लिए निर्माण कंपनी को एमपीआरडीसी ने खुदाई की अनुमति दी थी। जिसके लिए खनिज के अधिकारियों ने रिपोर्ट भी बनाई गई थी।जल जीवन मिशन के कार्यपालन यंत्री आरके चावला का कहना है कि झुग्गी कौन और कैसे बनवा रहा है इससे विभाग का कोई लेना देना नहीं है। सरकार की योजना के तहत लोगों के लिए पानी की व्यवस्था की जाना है। इसी के तहत यहां पानी की टंकी का निर्माण कराया जा रहा है

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